सताराम देवासी ने पैरो से से लिख डाली अपनी किस्मत

 World Disabilities Day Special

Sataram Dewasi जोधपुर डगर कितनी भी कठिन क्यों ना हो, लेकिन मेहनत और लगन से इसे पार किया जा सकता है। जोधपुर के कैलावा कलां के स्वामीजी की ढाणी में रहने वाले सत्ताराम देवासी ने सात साल की आयु में अपने दोनों हाथ गंवाए तो पढ़ाई बाधित हो गई। लेकिन सत्ताराम ने विकलांगता से हिम्मत नहीं हारी और इसे कमजोरी बनाने की बजाय ताकत बनकर लड़े। आज देवासी समाज में उदाहरण बने हुए हैं।  देवासी आज भी जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रावास में सुविधाओं के अभाव में अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटे हैं। इन्होंने अपने दृढ़ इरादों से जता दिया है कि हौंसले के आगे कितनी भी बड़ी बाधा को पार किया जा सकता है। सपना अफसर बनने का देवासी का सपना सिविल सर्विसेज में जाने का है। देवासी ने 10वीं, 12वीं के साथ बीकॉम अच्छे अंकों से की और सीए सीपीटी की परीक्षा में 126 वीं रेंक हासिल कर नया मुकाम बनाया। वे फिलहाल अकाउंटिंग में एमकॉम फाइनल कर रहे हैं। फोन से पूछे हालचाल, नहीं मिला सम्मान देवासी ने बताया कि मुख्यमंत्री दौरे से एक दिन पहले इनके पास सीएमओ से फोन आया और सभी ने इनके रहने-खाने की जानकारी ली। अगले दिन जयपुर एवं जोधपुर के समाजकल्याण विभाग विभाग ने भी फोन कर इनकी पूरी जानकारी ली, लेकिन न तो सम्मान के लिए इन्हें बाड़मेर बुलाया और न ही अध्ययन में आ रही दिक्कतों को लेकर पूछा। आज भी गरीबी के चलते उन्हें सीए की कोचिंग लेने में परेशानी हो रही है, क्योंकि कोचिंग के लिए सरकार पैसा नहीं देती। गरीबी बनी अभिशाप देवासी बताते हैं कि उनके पिता पशुपालन और खेतीबाड़ी करते हैं। बारिश नहीं होने के कारण कई बार परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो जाता है। वे बताते हैं कि बचपन में उन्होंने बिजली के तार छू लिए, जिससे दोनों हाथ जल गए। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया गया। लेकिन रुपए नहीं होने के कारण दोनों हाथ ठीक नहीं करवा सके। उस समय वे कक्षा चतुर्थ में पढ़ रहे थे।
हादसे के कारण साल भर तक पढ़ाई नहीं कर पाए और यही सोचते रहे कि आगे पढ़ पाएंगे या नहीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और पैरों से लिखने का अभ्यास शुरू किया। मिट्टी से शुरू किया अभ्यास अपनी पढाई को जारी रखने के लिए देवासी ने शुरूआत में पैरों से मिट्टी पर लिखने का अभ्यास किया। फिर वे अक्सर मिट्टी और दीवार पर आकृतियां बनाने लगे, लिखने की कोशिश करने लगे। शुरूआत में पैरो से लिखने पर आकृतियां बड़ी बन जाती थी, लेकिन अभ्यास के चलते सब कुछ संभव हो गया। 


आज देवासी फर्राटे से हिन्दी और अंग्रेजी को सुन्दर अक्षरों में अपने पैरों से लिखते हैं। अखिल भारतीय रबारी राईका देवासी समाज सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्री खेमराज देसाई ने 2013 में 25000 रूपये देकर सताराम को आर्थिक सहायता देकर समाज के सबसे बड़े मंच हरिद्वार धर्मशाला में सम्मनित किया था, सताराम और भी कई मंचो पर सम्मानित हो चुके है।  
Sataram Dewasi Jodhpurहौंसले को है मेरा सलाम

गत दिनों बाड़मेर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने भाषण के दौरान देवासी समाज के होनहार एवं आत्म विश्वासी युवा सताराम देवासी के हौंसले को सलाम किया। कहा कि वह दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद हौंसले की उड़ान भरकर विद्यालयी शिक्षा से स्नातकोत्तर तक शिक्षा पाकर अपने माता-पिता का सहारा भी बना।