Camel declares state animal

ऊंट को राज्य पशु का मिला दर्जा,  ऊंट के वध पर होगी 7 साल की सजा                                                        

                          राजस्थान सरकार ने ऊंट को राजकीय पशु घोषित करते हुए उसका वध निषेध कर दिया है। 
Camel declares state animalऐसा करते हुए पाए जाने पर सात साल तक की सज़ा हो सकती है, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में बीकानेर में हुई कैबिनेट बैठक में यह फ़ैसला लिया गया. इसे अब विधानसभा में पारित कर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा. इसके बाद यह क़ानून का रूप ले लेगा, राजकीय पशु घोषित करने के साथ ही मंत्रिमंडल ने ऊंट पालकों के लिए सहकारी समिति का गठन और ऊंटनी के दूधपर शोध का भी फ़ैसला किया है. प्रदेश में ऊँटो की लगातार गिरती संख्या को देखते हुए सरकार ने यह फ़ैसला लिया है
  राज्य में 2003 की पशुगणना के मुताबिक़ 4.98 लाख से अधिक ऊंट थे, जो 2007 में घटकर करीब 4.21 लाख रह गए. अनुमान है कि इस समय राज्य में करीब दो लाख ऊँट हैं. पुष्कर मेला ऊँटों की घटती संख्या का प्रमुख कारण चारागाहों की कमी, ऊंट पालने वाली राईका समाज की नई पीढ़ी का ऊँट पालन की ओर कम होता रुझान और इससे आमदनी न होना है हनवंत सिंह राठौड़, प्रमुख-लोकहित पशुपालक संस्थान ऊँट संरक्षण के लिए काम कर रहे पाली ज़िले के लोकहित पशुपालक संस्थान के प्रमुख हनवंत सिंह राठौड़ के मुताबिक, ''ऊँटों की घटती संख्या का प्रमुख कारण चारागाहों की कमी, ऊँट पालने वाली राईका समाज की नई पीढ़ी का ऊँट पालन की ओर कम होता रुझान और इससे आमदनी न होना है.'' उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में ऊँटों को बांग्लादेश के खरीदारों को बेचा जा रहा है, जहाँ उनका माँस के लिए वध कर दिया जाता है
  पुष्कर मेले में पहले ऊँटनी को बेचा नहीं जाता था क्योंकि राईका समाज का मानना था कि ऊँटों का वंश चलाने के लिए ऊँटनी का संरक्षण जरूरी है. लेकिन अब कुछ लोग ऊँटनी भी बेच रहे हैं राईका समाज और लोकहित पशुपालक संस्थान ने बैठक आयोजित कर राज्य सरकार के प्रस्तावित विधेयक पर ख़ुशी जताई. यह भी कहा गया कि यदि सरकार ने राज्य से बाहर ऊँटों की आवाजाही पर रोक लगाई तो इसका राईका समाज की जीविका पर विपरीत असर पड़ेगा।