मकान नहीं, आरक्षण नहीं… अब आंदोलन ही सही: DNT समाज का जयपुर में महा बहिष्कार आंदोलन

मकान नहीं, आरक्षण नहीं… अब आंदोलन ही सही: DNT समाज का जयपुर में महा बहिष्कार
लालसिंह राईका

1 जुलाई को जयपुर में ‘करो या मरो’ बहिष्कार आंदोलन: घुमंतु जातियां मांगें लेकर सड़कों पर उतरेंगी


राजधानी जयपुर में 1 जुलाई को एक बड़ा सामाजिक आंदोलन होने जा रहा है। घुमंतु, अर्ध-घुमंतु और विमुक्त जातियों (DNT) ने अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर 'बहिष्कार आंदोलन' की घोषणा की है। यह आंदोलन मानसरोवर स्थित वीटी ग्राउंड में आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर की 50 से अधिक जातियों के प्रतिनिधियों के शामिल होने का दावा किया गया है। आंदोलन को 'करो या मरो' की लड़ाई करार दिया गया है।

सभी को आंदोलन में पारम्परिक वेशभूषा में भाग लेने की अपील की गयी। 

सरकारों पर उपेक्षा का आरोप


रविवार को जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में DNT संघर्ष समिति और पशुपालक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी राईका ने सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी इन समुदायों के लिए न तो कोई स्थायी कल्याणकारी योजना बनी है, न ही आयोगों की सिफारिशों को लागू किया गया है।


> "हमने 7 जनवरी को पाली और 3 फरवरी को जोधपुर में आंदोलन किए, लेकिन सरकार ने केवल आश्वासन दिया। अब समय आ गया है कि हमें अपने अधिकारों के लिए निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी," — लालजी राईका

आवास और आरक्षण मुख्य मुद्दे

राईका ने बताया कि घुमंतु समुदायों की लगभग 70% आबादी के पास आज भी खुद का मकान नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा घोषित 25,000 पट्टे केवल उन्हीं जगहों पर बांटे जा रहे हैं जहां पहले से बस्ती है, जबकि घुमंतु समुदाय गोचर भूमि में रह रहा है और उन्हें वहीं पर पट्टे दिए जाने चाहिए।


उन्होंने यह भी मांग की कि आयोगों की सिफारिशों के अनुसार इन जातियों को राजनीति में 10% आरक्षण मिलना चाहिए, ताकि उन्हें सामाजिक और राजनीतिक मुख्यधारा में लाया जा सके।


5 लाख करोड़ का टैक्स, फिर भी हाशिए पर

नेताओं ने दावा किया कि ये जातियां हर महीने करीब 600 करोड़ रुपये टैक्स देती हैं और अब तक कुल मिलाकर लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का योगदान कर चुकी हैं। इसके बावजूद न तो कोई घुमंतु समुदाय का व्यक्ति आईएएस, आईपीएस, जज या सेना में उच्च पदों पर पहुंच पाया है।

राईका ने दो टूक कहा कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ने ही इन जातियों का सिर्फ शोषण किया है, कोई ठोस काम नहीं किया। 1 जुलाई को होने वाला आंदोलन अब चेतावनी नहीं बल्कि अंतिम लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।

अंदाजा लगाया जा रहा है लाखों की भीड़ 1 जुलाई को जयपुर में जुटेगी। 

प्रशासन की चुनौती बढ़ी

भीड़ के दृष्टिगत जयपुर प्रशासन के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगा। आंदोलन के आयोजकों का दावा है कि लाखों की संख्या में लोग जुटेंगे। वहीं, अब तक सरकार की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ