82 वर्षीय रूपा रैबारी खुद बनाते हैं रोटियां बेसहाराओ का भरते है पेट 

Rupa Rabari

कोटा चैचट। रूपा रबारी की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है! 82 वर्ष की आयु में भी, वह जीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए जानवरों की सेवा में जुटे हुए हैं। उनका यह कार्य न केवल जानवरों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह हम सभी के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है कि कैसे हम अपने समुदाय में छोटे-छोटे कार्यों के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। 

10 वर्ष से लगातार बेसहारो को 5 किलो आटे की रोटी खिला रहे है रूपा रैबारी 

मूल रूप से खेड़ली गांव के रहने वाले रूपा रेबारी की घाटोली गांव में खेती की जमीन थी। ऐसे में वे वर्षों पूर्व घाटोली गांव में रहने लगे। परिवार में कोई नहीं होने से वे अकेले यहां रहते हैं। उम्र ढलने लगी तो खेती करना छोड़ दिया।

अपने गुजारे के लिए कुछ जमीन मुनाफे पर दे दी और बाकी जमीन कुछ वर्षों पहले घाटोली हनुमान मंदिर के नाम कर दी। परिवार में कोई नहीं होने से रूपा स्वयं ही अपना खाना बनाते हैं। 

रूपा को देखते ही दौड़े आते है गाय, कुत्ते बिल्ली 

रूपा रेबारी की यह सेवा दिल छूने वाली है। वे अपने अकेलेपन के बावजूद श्वानों और बिल्लियों की देखभाल कर रहे हैं। लगभग 10 वर्षों से वे प्रतिदिन रोटियां बना कर इन बेसहारा जानवरों को खिलाते हैं। उनका यह कार्य न केवल जानवरों की भूख मिटाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सच्ची मानवता और करुणा की भावना से भरा हुआ है। 

रूपा जी की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि उम्र केवल एक संख्या है, और हमारे पास जो कुछ भी है, उसे दूसरों की सेवा में लगाने की क्षमता हमेशा रहती है। उनका यह कार्य न केवल जानवरों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह हम सभी के लिए एक प्रेरणा भी है कि हम अपने जीवन में दूसरों की सेवा कैसे कर सकते हैं।


Rupa rebari 


रूपा जी की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि अकेलापन और खालीपन को हम कैसे दूसरों की सेवा में बदल सकते हैं। उनका यह कार्य न केवल जानवरों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह हम सभी के लिए एक प्रेरणा भी है कि हम अपने जीवन में दूसरों की सेवा कैसे कर सकते हैं।


आइए हम सभी रूपा जी से प्रेरणा लें और अपने जीवन में दूसरों की सेवा के लिए कुछ करने का प्रयास करें!

82 year old Rupa Rabari makes rotis herself and feeds the destitute