जुलाई के अंतिम में आई पश्चिम राजस्थान में बारिस सिरोही, पाली, जालोर, उदयपुर में आपदा बनकर आई और अतिवृष्टि
से अनेक गांव जलमग्न हो गए नदी नाले उफान पर चले। जन-जीवन अस्त व्यस्त हो
गया। अनेक लोगो को बेघर कर दिया। जहां प्रशासन की मदद नहीं पहुंच पाई वहा
स्थानीय निवासियों ने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई।
आज हम ऐसे ही रैबारी समाज के जलबांकुरो से आपका परिचय करवा रहे है, जिन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर मानवता का धर्म निभाया।
पश्चिम राजस्थान में आई बाढ़ ने कई जिंदगियों को खतरे में डाल दिया पानी के बहाव के आगे प्रशासन एनडीआरएफ भी बेबस हो गए लेकिन इन जलबांकुरो ने हार नहीं मानी तो किसी ने पानी में कूद कर जान बचाई तो किसी ने अपने अन्न भंडार खोल दिए तांकि कोई भूखा नहीं रहे। सिरोही जिले में आफत की बारिस हुई मुसीबत आई तो एक ऐसा रियल हीरो सामने आया जिसने अपनी जान पर खेलकर 150 पर्यटकों की जान बचाई। नदी के बहाव के विपरीत तैरने की क्षमता रखने वाले रणछोड़ देवासी ने पावणो (मेहमान) के लिए किसी भी परस्थिति में रण नहीं छोड़ा। राजस्थान और गुजरात के पर्यटक पावापुरी घूमने जा रहे थे लेकिन उनको आभास नहीं था की आगे आफत आने वाली है। पर्यटकों की दो बसे जैसे ही कृष्णगंज के पास पहुंची नदी अपने उफान पर आ गई दोनों बसे पानी में 5-7 फीट तक फस गयी पर्यटकों की जान आफत में आ गयी। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये कोई भी पानी के बहाव के आगे जतन करने में बेबस था। ऐसे में रणछोड़ देवासी उनके लिए फरिश्ता बनकर आया। रणछोड़ ने बहादुरी दिखाते हुए पर्यटकों की बसों को जैसे तैसे कर बहार निकाला और रेबारियों का गोलियां गांव में ले गया। जहां पर्यटकों को गांव के मंदिर और कुछ को घरो में शरण दी और गांव के सभी घर से दूध और रोटी की व्यवस्था की, ऐसे में रणछोड़ ने पावणो की सेवा का बीड़ा भी उठाया। कुछ पर्यटकों को मंदिर में तो कुछ पर्यटको को गांव वालो के घरो में जगह दी लेकिन अब मुसीबत खाने की थी क्योंकि यह गांव पूरी तरह पानी से घिर चुका था, मोबाइल नेटवर्क नहीं था। लिहाजा मदद के लिए किसी को बुलाया भी नहीं जा सकता था। ऐसे में रणछोड़ के कहने पर गांव के लोगो ने अन्न के भंडार खोल दिए। गांव की दुकानों का राशन भी पर्यटकों को खिला दिया गया। पुरे गांव ने मिलकर अन्न का आखरी दाना भी पर्यटकों के लिए समप्रित कर दिया। तीन दिन गुजर चुके थे। गांव अभी भी चारो और पानी से घिरा हुआ था और खाने का सामान खत्म हो चुका था। ऐसे में पहाड़ी पर जाकर प्रसाशन सम्पर्क किया गया तब जाकर इतने लोगों के फसे होने की सूचना बहार आई लेकिन प्रशासन भी पानी के बहाव के आगे बेबस था और गांव तक नहीं पहुंच पा रहा था। ऐसे में रणछोड़ देवासी ने रसियो की सहायता से पर्यटकों को गांव से बाहर निकाला। आखिर रणछोड़ की बहादुरी ने 150 पर्यटको की जिंदगी बचा ली, कई परिवार आज रणछोड़ को दुआएं दे रहे है।
आज हम ऐसे ही रैबारी समाज के जलबांकुरो से आपका परिचय करवा रहे है, जिन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर मानवता का धर्म निभाया।
रणछोड़ देवासी की बहादुरी ने बचाई 150 पर्यटकों की जान
पश्चिम राजस्थान में आई बाढ़ ने कई जिंदगियों को खतरे में डाल दिया पानी के बहाव के आगे प्रशासन एनडीआरएफ भी बेबस हो गए लेकिन इन जलबांकुरो ने हार नहीं मानी तो किसी ने पानी में कूद कर जान बचाई तो किसी ने अपने अन्न भंडार खोल दिए तांकि कोई भूखा नहीं रहे। सिरोही जिले में आफत की बारिस हुई मुसीबत आई तो एक ऐसा रियल हीरो सामने आया जिसने अपनी जान पर खेलकर 150 पर्यटकों की जान बचाई। नदी के बहाव के विपरीत तैरने की क्षमता रखने वाले रणछोड़ देवासी ने पावणो (मेहमान) के लिए किसी भी परस्थिति में रण नहीं छोड़ा। राजस्थान और गुजरात के पर्यटक पावापुरी घूमने जा रहे थे लेकिन उनको आभास नहीं था की आगे आफत आने वाली है। पर्यटकों की दो बसे जैसे ही कृष्णगंज के पास पहुंची नदी अपने उफान पर आ गई दोनों बसे पानी में 5-7 फीट तक फस गयी पर्यटकों की जान आफत में आ गयी। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये कोई भी पानी के बहाव के आगे जतन करने में बेबस था। ऐसे में रणछोड़ देवासी उनके लिए फरिश्ता बनकर आया। रणछोड़ ने बहादुरी दिखाते हुए पर्यटकों की बसों को जैसे तैसे कर बहार निकाला और रेबारियों का गोलियां गांव में ले गया। जहां पर्यटकों को गांव के मंदिर और कुछ को घरो में शरण दी और गांव के सभी घर से दूध और रोटी की व्यवस्था की, ऐसे में रणछोड़ ने पावणो की सेवा का बीड़ा भी उठाया। कुछ पर्यटकों को मंदिर में तो कुछ पर्यटको को गांव वालो के घरो में जगह दी लेकिन अब मुसीबत खाने की थी क्योंकि यह गांव पूरी तरह पानी से घिर चुका था, मोबाइल नेटवर्क नहीं था। लिहाजा मदद के लिए किसी को बुलाया भी नहीं जा सकता था। ऐसे में रणछोड़ के कहने पर गांव के लोगो ने अन्न के भंडार खोल दिए। गांव की दुकानों का राशन भी पर्यटकों को खिला दिया गया। पुरे गांव ने मिलकर अन्न का आखरी दाना भी पर्यटकों के लिए समप्रित कर दिया। तीन दिन गुजर चुके थे। गांव अभी भी चारो और पानी से घिरा हुआ था और खाने का सामान खत्म हो चुका था। ऐसे में पहाड़ी पर जाकर प्रसाशन सम्पर्क किया गया तब जाकर इतने लोगों के फसे होने की सूचना बहार आई लेकिन प्रशासन भी पानी के बहाव के आगे बेबस था और गांव तक नहीं पहुंच पा रहा था। ऐसे में रणछोड़ देवासी ने रसियो की सहायता से पर्यटकों को गांव से बाहर निकाला। आखिर रणछोड़ की बहादुरी ने 150 पर्यटको की जिंदगी बचा ली, कई परिवार आज रणछोड़ को दुआएं दे रहे है। रणछोड़ ने दिलाई गोलिया गांव को एक अलग पहचान ईटीवी बना जरिया
रणछोड़ के साहस को सलाम करने पहुंचे मंत्रीजी
जलबाँकुरे रणछोड़ की कहानी जब ईटीवी पर दिखी तो उस गांव की तस्वीर बदलने लगी आजादी के सात दशक बाद पहली बार सरकार का नुमाइंदा रेबारियों के गोलिया गांव पंहुचा। भीषण बाढ़ दौर में रबारियों के गोलिया गांव के युवक रणछोड़ ने 150 पर्यटकों की जान बचाकर जाबांजी की जो मिशाल पेश की जो पुरे जिले के लिए गौरवमई बन गयी जब ओटाराम देवासी ने ईटीवी पर रणछोड़ की खबर देखी तो खुद पहुंच गए उस दिलेर के गांव में। 70 वर्ष बाद इस गांव में किसी मंत्री ने कदम रखा। मंत्रीजी के आने से गांव में पंचायत बेठ गयी, एक एक कर सारी समस्याओं से मंत्री जी को अवगत करवाया गया और राज्य मंत्री ओटाराम देवासी ने भी गांव वालो को विकास का भरोसा दिलाया। जाते-जाते पेयजल समस्या से निपटने के लिए पांच लाख का ऐलान भी कर दिया।बाढ़ के हीरो रणछोड़ को भुला प्रशासन
मंत्री ने बांटी ‘पंजीरी’, छूट गया जीवनदाता ‘रणछोड’
सवेरे गोपालन मंत्री ने पंजीरी बांटते हुए बाढ के दौरान दो सौ लोगों की जान बचाने वाले रणछोड को छोड दिया, लेकिन रात को 12 बजे जिला मुख्यालय के कृष्ण मंदिरों में रणछोड (भगवान कृष्ण का उपनाम) को भोग लगाए बिना किसी भक्त ने पंजीरी का प्रसाद नहीं लिया। शायद यही अंतर है नेताओं और साधारण लोगों में। तभी लोग इस बार भी कह्ते दिखे कि अंधा बांटे रेवडी फिर-फिर अपनों को दे। इसीलिए हर बार की तरह इस बार भी स्वतंत्रता दिवस पर बांटे गए पुरस्कार को सिरोही के दर्शकों ने इस बार भी प्रक्रियागत खामियों के कारण इसे निन्दा ज्यादा मिली। रणछोड वो व्यक्ति है जिसने रेबारियों का गोलिया के अपने ग्रामीणों के साथ मिलकर कृष्णगंज के निकट पानी की धाराओं में फंसे गुजरात के 150 पर्यटकों का न सिर्फ जीवन बचाया बल्कि अपने गांव के हर घर में अंतिम दाना रहने तक इन लोगों को तीन दिन तक भोजन करवाया। इस गांव के लोगों ने जब खाद्य सामग्री पूरी तरह से खतम हो गई तब तक इन 150 लोगों को भोजन करवाया।अंत में जब सारी खद्या समाग्री खतम हो गई और कुछ चावल बचे तो अपने जानवरों का दूध निकालकर खीर बनाकर सबका पेट भरा। तीन दिन तक सिरोही जिला प्रशासन को इतनी संख्या में पर्यटकों के पानी में फंसे होने की जानकारी तक नहीं थी। जैसे तैसे इन पर्यटकों में से किसी ने रिस्क लेकर उंचे स्थान पर जाकर गुजरात में प्रशासन से संपर्क किया। वहां से कई माध्यमों से होता हुआ यह संदेश सिरोही जिला प्रशासन के पास पहुंचा। इस खबर ने मीडिया में सुर्खी बटोरी। इसके बावजूद भी स्वतंत्रता दिवस पर बाढ के दौरान जिन लोगों को सम्मानित किया गया, उनमें अपने घर का अंतिम दाना तक लुटा देने वाले इस गांव के ग्रामीणों के प्रति कृतज्ञता जताने तक की प्रशासन को नहीं सूझी। इसका सीधा मतलब यही है कि प्रशासन ने रेबारियों के गोलिया के अनसंग हीरोज की बजाय उनके सामने आकर अपने कार्य को दिखाने और सोशल मीडिया पर फोटोज प्रसारित करने वालों को ही इस सूचि में शामिल किया। अव्वल तो इस तरह के किसी अलग पुरस्कार की कोई व्यवस्था थी नहीं। इसे प्रशासन ने अपने स्तर पर ही तय किया था तो यह दलील भी गैर लाजिमी है कि रणछोड और उसके गांव वालों ने खुद या किसी अन्य व्यक्ति ने उसके कार्यों को सराहने के लिए अनुरोध नहीं किया था। यदि यह ग्रामीण इतने चपल होते तो अपने घर का अंतिम दाना पानी में फंसे पर्यटकों को खिलाने की बजाय किसी दूसरे का माल उन्हें खिलाकर फोटो खिंचवाकर श्रेय लूट लेते, जैसा कि इस बाढ के दौरान कई बार देखने और सुनने में भी आया है।आश्चर्य की बात तो यह है कि खुद गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी ने अरविंद पेवेलियन में पढे गए अपने भाषण में रेबारियों के गोलिया की इस घटना का जिक्र किया, लेकिन उन्होंने पुरस्कार बांटते हुए यह तक नहीं जानने की कोशिश की कि इस गांव के किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किया जा रहा है या नहीं। ओटाराम देवासी ने लिखित भाषण पढा था तय है कि भाषण वाला पेपर उनके पास रात को या सवेरे जल्दी आ गया होगा। इसके बावजूद उन्होंने यह जानने की कोशिश नहीं की कि रणछोड या रेबारियों के गोलिया को सम्मानित किया जा रहा है या नहीं। प्रशासन से ज्यादा दूरदर्शी तो आदर्श फाउंडेशन निकली जिसने उसके कार्यों के लिए 6 अगस्त को ही रामरसोडे के उद्घाटन के दौरान रणछोड का न सिर्फ सम्मान किया बल्कि उनके गांव के लोगों के त्याग और समर्पण को भी सराहा।
वैसे कार्यक्रम के बाद में ओटाराम देवासी उनके गांव गए थे। वहां जाकर
आदर्श फाउंडेशन के कार्यक्रम के दौरान किए गए वादे के अनुसार गोलिया के लिए
पानी की व्यवस्था को पांच लाख रुपये की घोषणा की। लेकिन, यह सबकुछ गोलिया
के अनसंग हीरोज के साथ न्याय नहीं करवा सकता।
डॉक्टर देवासी ने जान जोखिम में डालकर किया पोस्टमार्टम
तैरकर पहुंचा डॉक्टर देवासी मृतक शिक्षक का किया पोस्टमार्टम
विधालय
जाते वक्त लोगों को बचाने के प्रयास में अपनी जान गवाने वाले पुनासा गांव
के बाढ़ प्रभारी प्रधानाध्यापक अर्जुनराम की लाश को लेकर परिजन 24 घंटे तक
बैठे रहे थे। घर के चारों और पानी का तेज़ बहाव होने एवं भारी वर्षा के कारण न
तो पुलिस प्रशासन पहुँच पा रहा था और न ही उन्हें पोस्टमार्टम के लिए किसी
हॉस्पिटल ले जाना संभव था।
जालोर
निवासी रामगोपाल विश्नोई ने मंगलवार को इस स्थिति से पुलिस अधीक्षक विकास
शर्मा को अवगत करवाया जिस पर पुलिस अधीक्षक ने सीएमएचओ जालोर से वार्ता कर
एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीनमाल के चिकित्सक डॉक्टर पांचाराम देवासी
से सहमति प्राप्त कर डॉ देवासी के नाम का आदेश निकाला।
डॉ
देवासी ने चिकित्सक धर्म को निभाते हुए 40 किलोमीटर दूर जांगुओं की ढाणी
डूंगरवा स्थित मृतक अर्जुन राम के घर पहुँच कर उनका पोस्टमार्टम किया इस
दौरान रास्ते में उन्होंने तेज बहाव वाली तीन नदियों को तैरकर पार किया, हर
नदी के बाद बाईक को बदला और गांव डूंगरवा से जांगुओं की ढाणी तक 4
किलोमीटर पैदल चले मंगलवार सांय 6 बजे शव का पोस्टमार्टम किया जिसके बाद
परिजनों ने मृतक शिक्षक का अंतिम संस्कार किया।
डॉ. देवासी जिला स्तर पर हुए सम्मानित
जालोर जिला स्तरीय कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री श्री पुष्पेंद्र जी राणावत एवं जिला कलेक्टर एल.एन. सोनी जी द्वारा डॉक्टर पांचाराम देवासी चिकित्सा अधिकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीनमाल को बाढ़ स्थिति में अपनी जान जोखिम में डालकर 40 किलोमीटर दूर जाकर मृतक शिक्षक का पोस्टमार्टम कर मानवता धर्म निभाने वाले और सहरानीय कार्य करने के फलस्वरूप जिला स्तर पर सम्मानित किया गया।
भूपत देवासी जिला स्तर पर हुए सम्मानित
बाढ़ पीड़ितों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले देसाई हॉस्पिटल सिरोही के संचालक एवं नवपरगना रेबारी समाज के अध्यक्ष समाज सेवी भूपत भाई देसाई का स्वाधीनता दिवस के मोके पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री ओटाराम देवासी एवं जिला कलेक्टर श्री सन्देश नायक द्वारा सम्मानित किया गया।
हरिया देवासी के साहस ने बचाई 9 लोगों की जिंदगी
जिस समाज में महिला को कम आंका जाता है वही उसी समाज की महिला हरिया देवासी ने अपने साहस और बहादुरी से बाढ़ पीड़ितों के लिए फरिश्ता बनी। ऐसी ही कहानी है- हरिया देवासी की
सांचोर में जब बाढ़ अपना कहर बरपा रही थी। तभी तीन बच्चे एवं चार महिलाएं बाढ़ की चपेट में आकर मोत के बेहद करीब आ गए। लेकिन हरिया देवी उनके साथ थी लोगो को डूबता देख हरिया देवी ने भी छलांग लगा दी। हरिया देवी ने अपनी जान जोखिम में डाल सभी को सुरक्षित बहार निकाल लिया। हरिया अभी तक 9 लोगो की जान बचा चुकी है। हरिया देवी खुद जन प्रतिनिधि है, बाढ़ आने के दिन से ही लोगो की मदद और सेवा में जुटी है। प्रशासन की मदद से लोगों को रसद पहुंचाना हरिया देवी की दिनचर्या बन गयी है। वो घर घर जाकर उनकी पीड़ा भी सुनी और उनकी भरपूर मदद भी की। मुख्यमंत्री वसुंधरा को बहन मानने वाली हरिया देवी को भरोसा रखती है, सरकार निश्चित तोर पर बाढ़ पीड़ितों की मदद करेगी। समाज में कमतर आंकी जाने वाली महिलाओं के सामने हरिया देवी देवासी ने अपनी बहादुरी से मिशाल पेश की है। उन्होंने समाज और लोगों को बताया है वो किसी से कम नहीं।
हो सकता है हमारी दृष्टि कुछ लोगो तक नहीं पहुंच पाई हो जो बाढ़ पीड़ितों के लिए मसीहा बने उसके लिए हम क्षमाप्राथी है।


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